Kafan Kahani by Premchand – कफ़न

कफ़न (Kafan Kahani by Premchand in Hindi) : यह एक बाप -बेटे की कहानी है जो बेहद गरीब थे। एक बार बेटे की बहु का निधन हो जाता है।

और उनके पास उसके कफ़न के लिए भी पैसे नहीं थे। वे लोग जमींदार आदि से पैसे माँगते हैं, लेकिन इसका कफ़न खरीदने के वजाय वे उस पैसे से दावत उड़ा लेते हैं।

पढ़िए मुंशी प्रेमचंद की बेहद मार्मिक कहानी “कफ़न” और जानिये क्यूँ ?

कफ़न (Kafan Kahani by Munshi Premchand)

घीसू , 60 बरस का एक बूढ़ा व्यक्ति था। वह चमार जाति का था और बेहद गरीब था। वह गाँव में इधर -उधर मजदूरी करके अपना पेट भरता था।

लेकिन वह बहुत ही आलसी किस्म का भी था। वह एक दिन काम करता था और तीन दिन गायब हो जाता था। साथ ही वह कच्ची शराब आदि भी पीता रहता था।

इस सब के कारण गाँव के बहुत से लोग उसे मजदूरी का काम भी नहीं देते थे। लेकिन फिर भी वह अपनी जिंदगी में मस्त रहता था।

घीसू का एक बेटा भी था जिसका नाम माधव था। माधव भी उसी की तरह कामचोर था। और वे कभी-कभी छोटी-मोटी चोरी चकारी भी कर लेते थे। इस कारण गाँव के बड़े लोग उनकी पिटाई भी कर दिया करते थे।

जब माधव जवान हो गया तो घीसू ने उसका विवाह बुधिया नाम की लड़की से करवा दिया। वह भी उन्ही की तरह चमार जाति की थी और बहुत गरीब थी।

Kafan in Hindi – Story by Premchand

वह शारीरिक रूप से भी बहुत दुबली – पतली थी क्युँकि गरीबी के कारण उसे कभी भी भरपेट खाना नहीं मिला था। इस कारण उसका सही से विकास नहीं हो पाया था।

शादी के एक साल बाद बुधिया गर्भवती हो जाती है। एक रात उसे प्रसव – वेदना उठती है। क्योंकि वह बहुत ही दुबली – पतली थी इसलिए उसे दूसरों की अपेक्षा भयंकर दर्द होता है। और वह जोर-जोर से चीखती है।

उसकी चीखें सुनकर घीसू और माधव बहुत डर रहे थे। लेकिन दोनों गरीबी से इतनी तंग थे कि उसके प्रति उन्हें को दया नहीं थ। बल्कि इसे वे झंझट मान रहे थे।

घीसू तो यहाँ तक कह देता है कि अगर यह मर रही है तो जल्दी से मर जाए अन्यथा जल्दी से बच्चा पैदा करे। ताकि यह समस्या खत्म हो।

इसी दौरान बुधिया की मृत्यु हो जाती है। लेकिन अब घीसू और माधव को बहुत धक्का लगता है और वे दहाड़ें मार कर रोने लगते हैं।

Kafan Kahani by Premchand
Kafan Kahani by Premchand


वास्तव में गरीबी होती ही ऐसी है। यह आदमी के दिमाग को सुन्न कर देती है और कई बार लोग गैर -अनुचित प्रतिक्रिया भी दे देते हैं।

Kafan Premchand ki Kahani (Kafan – Story by Munshi Premchand)

खैर , उनके रोने की आवाज सुनकर गाँव के लोग भी आ जाते हैं। तथा थोड़ी बहुत सहानुभूति दिखा कर वहाँ से चले जाते हैं।

इसके बाद घीसू और माधव के सामने एक और बड़ी समस्या आ जाती है। वे सोचते हैं कि बुधिया का दाह संस्कार कैसे करेंगे। क्योंकि उनके पास एक भी पैसा नहीं था।

तभी घीसू माधव से कहता है कि तुम साहूकार से जाकर कुछ पैसे ले आओ। हो सकता है कि बुधिया के मरने की खबर सुनकर वह दया करके कुछ पैसे दे दे।

यह सुनकर माधव साहूकार के घर जाता है। और उसके सामने गिड़गिड़ा कर अपनी कहानी बताता है। लेकिन साहूकार बहुत ही कंजूस था। वह माधव को सिर्फ दो आने ही देता है।

इसके बाद माधव और भी अमीर लोगों के पास जाता है तथा सब उसे बहुत ही कम पैसे देते हैं। लेकिन कुल मिलाकर माधव के पास ₹5 इकट्ठे हो जाते हैं। इसमें से कुछ पैसे की वह लड़की खरीद लेता है।

इसके बाद वह घीसू के पास जाता है और कहता है कि यह ₹5 हो गए हैं। इसके बाद घीसू कहता है कि बड़ी मुश्किल से इतने पैसे मिले हैं। बहुत दिनों से उन्होंने न शराब पी है और ना भरपेट खाना खाया है। क्यों ना आज दावत की जाए।

लेकिन यहाँ माधव को कुछ धर्म संकट हो जाता है और वह कहता है कि अभी-अभी तो मेरी पत्नी मेरी है और इस तरह से दावत करना क्या ठीक रहेगा।

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Premchand ki kahani – Kafan

लेकिन घीसू कहता है कि हम जैसे लोग सारी जिंदगी मेहनत – मजदूरी करते रहते हैं। न ही हम किसी का हक मारते हैं । हम लोगों को तो सीधा स्वर्ग मिलेगा। जबकि ये अमीर लोग हमेशा दूसरों का हक मारकर और लूटपाट करके पैसा कमाते हैं। यह कभी मेहनत का नहीं कमाते। इन्हे नरक मिलता है।

हम इसलिए दावत करेंगे क्योंकि बुधिया भी सीधे स्वर्ग जाएगी और यह ख़ुशी की बात है।

घीसू की यह बात सही थी भले ही यह समाज के संस्कारों के खिलाफ थी। लेकिन घोर गरीबी में क्या शिक्षा और क्या संस्कार।

माधव को घीसू का यह तर्क समझ आ जाता है। इसके बाद वे दोनों एक ठेके पर जाते हैं और वहाँ पर शराब खरीदते हैं। फिर वे दूसरी दुकान से काफी सारे खाने के पकवान खरीदने हैं फिर एक जगह जाकर दोनों मजे से खाने -पीने लगते हैं।

तभी माधव कहता है कि सारे पैसे खत्म हो गए हैं। और हम बुधिया के लिए कफ़न लेना तो भूल ही गए।

यह सुनकर घीसू कहता है कि यह सब पंडितों द्वारा बनाए हुए ढकोसले हैं। अगर कफन नहीं भी हुआ तो क्या फर्क पड़ता है। अंधेरे में कौन एक गरीब का कफन दिखेगा। और वैसे भी कफ़न लाश के साथ जल ही तो जाता है। इसलिए कफन की जरूरत नहीं है।

Kafan summary in Hindi – (Author: Munshi Premchand)

इसके बाद दोनों जी भरकर दारू पीते हैं और अच्छा खाना खाते हैं। सालों बाद उन्होंने ऐसी दावत उड़ाई थी। इसके बाद नशे में धुत होकर वे दोनों नाचने भी लगते हैं। आस – पास के कुछ लोग उन्हें हैरानी से देख रहे थे।

लेकिन बाहर से बाप – बेटा कुछ भी बोलें, उनके दिल में आत्मग्लानि और पश्चात भी था। लेकिन दोनों चाहते थे कि नशा उनके दर्द पर पर्दा डाले रखे। कुछ देर बाद दोनों थक – हार कर नीचे गिर जाते हैं और उन्हें वहीँ नीड आ जाती है।

इस कहानी की मुख्य थीम यही है कि गरीबी आदमी को इतना सुन्न कर देती है कि उसे दर्द होना ही बंद हो जाता है। और वह दुःख के मौकों पर भी खुशी मनाने लगता है।

लेकिन इससे उसके अंतर्मन में पश्चाताप और ग्लानि रहती है तथा वह आजीवन अंतर्द्वंद में जीता है।

समाप्त।

दोस्तो, उम्मीद है आपको मुंशी प्रेमचंद की इस मार्मिक कहानी “कफ़न” का सार (Kafan Kahani by Premchad) पसंद आया होगा। इस ब्लॉग पर आप और भी बाहत तरह की कहानियाँ और उपयोगी लेख पढ़ सकते है। धन्यवाद।

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FAQ ( Frequently asked Questions about Kafan Kahani by Premchand)

दोस्तो, आगे कफ़न कहानी से जुड़े कुछ प्रश्न -उत्तर दिए गए हैं। आप इन्हे भी पढ़ सकते हैं।

1. कफ़न को हिंदी में क्या कहते हैं?

कफ़न को हिंदी में शव वस्त्र, या श्वेतवस्त्र कहा जाता है।

2. कफ़न को English में क्या कहते हैं?

कफ़न को अंग्रेजी (English) में श्राउड (Shroud ) कहते हैं।

3. कफ़न को संस्कृत में क्या कहते हैं?

कफ़न को संस्कृत में शवाच्छादन ये मृतचेल कहते हैं?

4. कफ़न कहानी (kafan kahani) के लेखक कौन है ?

कफ़न कहानी के लेखक मुंशी प्रेमचंद हैं ?

5. कफ़न कहानी का सारांश क्या है ?

कफ़न कहानी का सारांश – घीसू और उसका बेटा माधव बेहद गरीब थे। जब माधव की पत्नी बुधिया की मृत्यु हो जाती है तो उनके पास उसके कफ़न के भी पैसे नहीं थे। जब वे माँग कर पैसे जुटाते हैं तो उसका कफ़न लेने के बजाय, दावत कर लेते हैं।

6. कफ़न किसकी रचना है ?

कफ़न उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की रचना है ?

7. कफ़न किसकी कहानी है ?

कफ़न मूर्धन्य लेखक प्रेमचंद की कहानी है। यह दो गरीब बाप -बेटे की कहानी है जिनके पास अपनी बहू के अंतिम संस्कार के लिए कफ़न के भी पैसे नहीं थे।

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