Bhagavad Gita Quotes in Hindi

Bhagavad Gita Quotes in Hindi (श्री भगवद गीता के अनमोल वचन): भगवद गीता हिन्दुओं का पवित्र ग्रन्थ है। इसमें भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच का संवाद शामिल है जो युद्ध के मैदान में हुआ था।

गीता भारतीय महाकाव्य “महाभारत” का ही एक हिस्सा है और इसे वेद व्यास ने श्री गणेश की सहायता से लिखा था।

गीता में 18 अध्याय हैं जो मनुष्य जीवन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हैं। जैसे ब्रह्माण्ड क्या है, आत्मा क्या है , ईश्वर क्या है, मोक्ष क्या है, ज्ञान, कर्म और भक्ति योग क्या है, आदि।

यदि आप गीता के सभी 18 chapters की सरल और रोचक Summary पढ़ना चाहते है तो यहाँ Click करके पढ़ सकते है।

आगे भगवान श्री कृष्ण द्वारा कहे गए दिव्य वचन दिए गए है। इन्हे पढ़िए तथा एक आध्यात्मिक और श्रेष्ठ जीवन जीने की कला सीखिए।

Bhagavad Gita Quotes in Hindi
Bhagavad Gita Quotes in Hindi

Bhagavad Gita Quotes in Hindi

1. “आपको कर्म करने का अधिकार है, लेकिन उसके फल का नहीं।”

2. “अपना अनिवार्य कर्तव्य लग्न से निभाओ, क्योंकि कर्म वास्तव में निष्क्रियता से बेहतर है।”

3. “आत्मा न तो जन्मती है और न ही मरती है। यह तो अजर -अमर है”

4. “श्रेष्ठ योग स्वयं की, स्वयं के माध्यम से, स्वयं तक की यात्रा है।”

5. “बुद्धिमान मनुष्य ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखते हैं और वास्तव में वे ही देखते हैं।”

6. “भगवान पर संदेह करने वाले के लिए न तो यह लोक है, न परलोक और न ही कोई सुख है।”

7. “अपना मन अपने काम पर केंद्रित करो उसे इधर -उधर मत भटकाओ।”

8. “जो मानव क्रोधपूर्ण विचारों से मुक्त हैं, उन्हें निश्चित रूप से शांति मिलती है।”

9. “भक्ति -मार्ग पर किया गया प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाता और असफलता नहीं मिलती।”

10. “भगवान की शक्ति हर समय आपके साथ है तथा वह मन, इंद्रियों, श्वास और भावनाओं की गतिविधियों के माध्यम से सभी कार्य कर रही है।” Bhagavad Gita Quotes in Hindi by Shri Krishna.

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Bhagavad Gita Quotes in Hindi

11. “जो मेरा ध्यान करता है वह हर पल संतुष्ट रहता है और उसके करने के लिए संसार में कुछ नहीं बचता है।”

12. “मन चंचल है और इसे रोकना बहुत कठिन है, लेकिन अभ्यास और वैराग्य से यह वश में हो जाता है।”

13. “अर्जुन, इस संसार में मुझे समर्पित व्यक्ति के रूप में कार्य करो। सभी कार्य बिना आसक्ति और सफलता तथा पराजय की चिंता किये बिना करो।”

14. “जिसे संसार की किसी चीज में आसक्ति नहीं है वह वास्तव में दूसरों से प्यार कर सकता है, क्योंकि उसका प्यार शुद्ध और दिव्य है।”

15. “मेरी सृष्टि में कभी ऐसा समय नहीं आया है जब तुम और मैं अस्तित्व में न रहे हों, न ही ऐसा समय आएगा जब हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। मैं आदि और अनंत हूँ”

16. “आत्मा को किसी भी हथियार से काटा नहीं जा सकता, न उसे आग से जलाया जा सकता है, न पानी से गीला किया जा सकता है, और न हवा से सुखाया ही जा सकता है।”

17. “जो लोग मन पर नियंत्रण नहीं रखते उनके लिए मन के समान कोई शत्रु ही नहीं है।”

18. “अपनी इच्छाशक्ति के माध्यम से खुद को नया स्वरूप दें। कभी भी आत्म-इच्छा से गलत कार्य न होने दें।”

19. ” क्यों व्यर्थ में चिंता करते हो। जो हुआ अच्छा हुआ। जो हो रहा है अच्छा हो रहा है। और जो होगा वो भी अच्छा होगा।” Shree Bhagavad Gita Quotes in Hindi.

20. “व्यक्ति की आत्मा अटूट और अघुलनशील है। वह शाश्वत है, हर जगह मौजूद है, अपरिवर्तनीय है, अचल है और हमेशा एक समान है।”

Bhagavad Gita Quotes in Hindi

21. “असंतुष्ट मन सुख से कोसों दूर है; वह ध्यान कैसे कर सकता है? उसे शांति कैसे मिल सकती है? जब आप शांति नहीं है, तो आप आनंद को भी कैसे जान सकते हैं?”

22. “सभी कार्य मुझ परमात्मा द्वारा किए जाते हैं; लेकिन जिसका मन अहंकार से भ्रमित होता है वह सोचता है, ‘मैं कर्ता हूँ।”

23. “जो बहुत अधिक खाते हैं या बहुत कम खाते हैं, जो बहुत अधिक सोते हैं या बहुत कम सोते हैं, वे ध्यान में सफल नहीं होंगे। लेकिन जो खाने, सोने, काम और मनोरंजन में संयमित हैं, वे परमानंद को प्राप्त करते हैं ।”

24. “सुख और संकट का अस्थायी रूप से प्रकट होना और समय के साथ उनका गायब हो जाना, सर्दी और गर्मी की ऋतुओं के प्रकट होने और उनके चले जाने के समान है।”

25. “दिमाग कल्पनाशील है और वह सोच कर ही स्वर्ग को नर्क या नर्क को स्वर्ग बना सकता है।”

Geeta Quotes in Hindi

26. “एक उपहार तब श्रेष्ठ होता है जब वह दिल से सही व्यक्ति को सही समय पर और सही जगह पर दिया जाता है, और जब हम बदले में कुछ भी नहीं चाहते हैं।”

27. “जो खाने, सोने, काम करने और मनोरंजन की अपनी आदतों में संयमी है वह मनुष्य योग प्रणाली का अभ्यास करके सभी भौतिक पीड़ाओं को कम कर सकता है।”

28. “दुनिया के कल्याण के लिए निरंतर प्रयास करें। निःस्वार्थ कार्य करके व्यक्ति जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य को प्राप्त करता है।”

29. “किसी और के जीवन को पूर्णता के साथ जीने की तुलना में अपने भाग्य को अपूर्ण रूप से जीना कहीं बेहतर है।”

30. “इन्द्रियां ही मनुष्य के सुख – दुख के स्रोत होते हैं। अगर उन पर वश न किया जाए हे अर्जुन, तो बुद्धिमान व्यक्ति भी कभी प्रसन्न नहीं होता है।”

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Bhagavad Gita Quotes in Hindi

31. “क्रोध से भ्रम उत्पन्न होता है। भ्रम से मन भ्रमित हो जाता है। मन भ्रमित होने पर बुद्धि नष्ट हो जाता है। बुद्धि नष्ट होने पर व्यक्ति पतित हो जाता है।”

32. “आत्म-नियंत्रित आत्मा, जो भोग – विषयों की आसक्ति या विकर्षण से मुक्त होकर विचरण करती है, वह शाश्वत शांति प्राप्त करती है।”

33. “जो लोग केवल कर्म के फल की इच्छा से प्रेरित होते हैं वे दुखी रहते हैं। क्योंकि वे जो करते हैं उसके परिणाम के बारे में लगातार चिंतित रहते हैं।”

34. “जो सुख लंबे अभ्यास से मिलता है, वह दुख के अंत की ओर ले जाता है। यह पहले जहर के समान होता है, लेकिन अंत में अमृत के समान होता है – इस प्रकार का सुख व्यक्ति के अपने मन की शांति से उत्पन्न होता है।”

35. “हम जो कुछ भी हैं वह हमने मन में जो सोचा है उसका परिणाम है।”

36. “वही वास्तव में देखता है जो हर प्राणी में भगवान को समान रूप से देखता है, हर जगह एक ही भगवान कृष्ण को देखता है, वह खुद को या दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचाता है।”

37. “दूसरे के धर्म में सफल होने की तुलना में अपने धर्म में प्रयास करना बेहतर है। अपने धर्म का पालन करने में कभी कुछ नहीं खोता है, लेकिन दूसरे के धर्म में प्रतिस्पर्धा , डर और असुरक्षा पैदा होती है।”

38. “हे अर्जुन, अगर तुम सबसे पापी भी हो, तो भी आध्यात्मिक ज्ञान की सहायता से तुम सभी पापों से पार पा सकते हो।” Bhagavad Gita Quotes in Hindi by Krishna.

39. “जिसने मन पर नियंत्रण कर लिया है, वह सर्दी-गर्मी, सुख-दुख, मान-अपमान में शांत रहता है और सदैव परमात्मा पर विश्वास करता है।”

40. “एक व्यक्ति अपने प्रयासों से ऊपर उठ सकता है या नीचे गिर सकता है। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपना दोस्त या दुश्मन खुद होता है।”

Bhagavad Gita Quotes in Hindi

41. “जब ध्यान में महारत हासिल हो जाती है, तो मन हवा रहित स्थान में दीपक की लौ की तरह अटल रहता है। और कभी भी भटकता नहीं “

42. “जो मनुष्य अच्छा काम करता है उसका कभी भी बुरा अंत नहीं होगा, न तो यहाँ या न मृत्यु के पश्चात।”

43. “जो मनुष्य कर्म में अकर्म और अकर्म में कर्म देखता है, वह सब मनुष्यों में बुद्धिमान है।”

44. “इंद्रियों से प्राप्त सुख पहले तो अमृत के समान लगता है, लेकिन अंत में जहर के समान होता है।”

45. “कर्मयोगी बिना आसक्ति के, केवल आत्मशुद्धि के लिए शरीर, मन, बुद्धि और इन्द्रियों द्वारा कर्म करता है।”

Geeta Quotes in Hindi

46. “बुद्धिमान मनुष्य न तो जीवितों के लिए शोक करते हैं और न ही मृतकों के लिए। ऐसा कोई समय नहीं था जब आप और मैं और यहां मौजूद सभी राजा अस्तित्व में नहीं थे, और न ही ऐसा कोई समय होगा जब हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।”

47. “जो आध्यात्मिक ज्ञान में बुद्धिमान है वह मानव शरीर के लिए शोक नहीं करता, चाहे वह जीवित हो या मृत।”

48. “हे अर्जुन, इंद्रियां इतनी मजबूत और अशांत हैं कि वे पूर्णता के लिए प्रयास करने वाले व्यक्ति के मन को भी बलपूर्वक भटका सकती हैं।” Bhagavad Geeta Quotes in Hindi.

49. “जिसने घृणा छोड़ दी है, जो सभी प्राणियों के साथ दया और करुणा का बर्ताब करता है, जो हमेशा शांत रहता है, दर्द या सुख से अविचलित, ‘मैं’ और ‘मेरा’ से मुक्त, आत्म-नियंत्रित, दृढ़ और धैर्यवान, उसका संपूर्ण मन मुझ पर ही केन्द्रित है—वही वह आदमी है जिसे मैं सबसे अधिक प्यार करता हूँ।”

50. “असत्य का कोई अस्तित्व नहीं है, और सत्य का कभी अंत नहीं होता। दोनों के बारे में सभी ने देखा है।”

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Shri Bhagavad Gita Quotes in Hindi

51. “हे अर्जुन, सफलता या विफलता के प्रति अपनी आसक्ति को त्यागकर, केवल मुझ में समर्पण रखकर अपना कर्तव्य निभाओ। ऐसी समता को ही योग कहा जाता है।”

52. “भ्रमित आत्मा, भौतिक प्रकृति के तीन गुणों के प्रभाव में, स्वयं को उन गतिविधियों का कर्ता मानती है, जो वास्तव में मेरे द्वारा संचालित होती हैं।”

53. “जो लोग मुझमें सभी कार्यों समर्पित करते हैं, और मुझे सर्वोच्च मानते हैं, मेरी पूजा करते हैं – एकचित्त भक्ति के साथ मेरा ध्यान करते हैं, जिनके मन मुझ पर आसक्त होते हैं, हे अर्जुन, मैं लंबे समय तक उनका उद्धार करने वाला बन जाता हूँ।”

54. “हे कुंती पुत्र, यज्ञ के लिए किए गए कर्मों को छोड़कर, जो भगवान के लिए किए जाने चाहिए, मनुष्य संसार के कर्मों से बंध जाता है।”

55. “जो मनुष्य इन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों को वश में रखता है व्ही योगी हैं। परन्तु जिसका मन भोग – विषयों पर केन्द्रित रहता है, वह निश्चय ही स्वयं को धोखा देता है और ढोंगी कहलाता है।”

56. “जो कठिन प्रयास करके अपनी इन्द्रियों को वश में करता है और बिना आसक्ति के मेरी भक्ति के कार्यों में लगता है, वह मनुष्यों में श्रेष्ठ है।”

57. “अपने निर्धारित कर्तव्यों का पालन करें, क्योंकि ऐसा करना काम न करने से बेहतर है। बिना कार्य किये कोई अपने भौतिक शरीर का भरण-पोषण भी नहीं कर सकता।”

58. “बुद्धिमान व्यक्ति, भक्ति में लीन होकर भगवान की शरण लेते हैं और सभी प्रकार के कर्तव्यों को पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित कर देते हैं।” Sacred Bhagavad Gita Quotes in Hindi.

59. “व्यक्ति को समाज के रीति-रिवाजों के अनुसार कार्य करना चाहिए जिसमें वह पैदा हुआ है। उसे अपने निर्धारित कर्तव्यों का पालन करना चाहिए, भले ही वे परिपूर्ण न हो सके।”

60. “अर्जुन, मैंने योग के इस शाश्वत विज्ञान को सर्वप्रथम सूर्य -देव को सिखाया था, जिन्होंने इसे मनु (मानव जाति के पिता) को सिखाया, और मनु ने बदले में इसे इक्ष्वाकु (सौर वंश के राजा और पूर्वज) को सिखाया।”

Best Bhagavad Gita Quotes in Hindi

61. “जब भी और जहाँ भी धर्म का नाश होता है, और अधर्म का उदय होता है उस समय हे अर्जुन मैं स्वयं अवतार लेता हूँ ।”

62. “हे अर्जुन, भगवान हर किसी के दिल में विराजमान हैं, और सभी जीवित प्राणियों का निर्देशन कर रहे हैं। “

Bhagavad Gita Quotes in Hindi
Bhagavad Gita Quotes in Hindi

63. ” हे पार्थ, मैं लक्ष्य, पालनकर्ता, स्वामी, साक्षी, निवास, आश्रय और सबसे प्रिय मित्र हूँ। मैं सृजन और संहार, हर चीज का आधार, विश्राम स्थान और शाश्वत बीज हूँ।”

64. “मैं किसी से ईर्ष्या नहीं करता, न किसी का पक्षपात करता हूँ। मैं सबके लिए समान हूँ। लेकिन जो कोई भक्तिपूर्वक मेरी सेवा करता है, वह मेरा मित्र है, और मैं भी उसका परम मित्र हूँ।”

65. “जिस भी प्रकार से मनुष्य मेरे प्रति समर्पण करते हैं, मैं उन्हें तदनुसार पुरस्कार देता हूँ। हे पृथा के पुत्र, हर कोई हर मार्ग से मुझ तक ही पहुँचता है।

66. “आसक्ति, भय और क्रोध से मुक्त होकर, मुझमें लीन होकर, मेरी शरण में आकर, और ज्ञान की अग्नि से शुद्ध होकर, कई मनुषयों ने मेरी दिव्य अवस्था प्राप्त कर ली है।”

67. “हे पार्थ, दुष्टों और मूर्खों के लिए मैं कभी भी प्रकट नहीं होता हूँ। उनके लिए मैं अपनी शाश्वत रचनात्मक शक्ति (योग-माया) से ढका हुआ रहता हूँ। इसलिए भ्रमित दुनिया कभी मेरे दर्शन नहीं कर पाती “

68. “जो द्वंद्व और संदेह से परे है, जिसका मन भीतर रमा हुआ है, जो हमेशा सभी संवेदनशील प्राणियों के कल्याण के लिए काम करता है, और जो सभी पापों से मुक्त है, वह मनुष्य मोक्ष प्राप्त करता है।”

69. “जो व्यक्ति न तो कुछ सुखद प्राप्त करने पर प्रसन्न होता है और न ही कुछ अप्रिय प्राप्त करने पर शोक करता है, जो आत्म-बुद्धिमान है, भ्रमित नहीं है, और जो ईश्वर के विज्ञान को जानता है, उसे ही स्थितप्रज्ञ कहा जाता है। और यह सर्वोच्च स्तिथि है। Best Bhagavad Gita Quotes in Hindi for Moksha.

70. “जब कोई व्यक्ति मन में प्रवेश करने वाली सभी प्रकार की इंद्रिय इच्छाओं को त्याग सकता है, और जब वह अकेले में भी संतुष्ट रहता है, तो उस व्यक्ति को शुद्ध पारलौकिक चेतना में कहा जाता है।”

Beautiful Bhagavad Gita Quotes in Hindi

71. “जो व्यक्ति अपनी इंद्रियों को इंद्रिय विषयों से हटाने में सक्षम है, वह दिव्य ज्ञान में स्थापित हो जाता है। जैसे कछुआ अपने अंगों को खतरा होने पर अपने खोल में वापस ले लेता है,”

72. “संत लोग, मुझे सभी यज्ञों और तपस्याओं का अंतिम उद्देश्य, सभी ग्रहों और देवताओं के सर्वोच्च भगवान, और सभी जीवों के परोपकारी और शुभचिंतक के रूप में जानते हुए, भौतिक दुखों की पीड़ा से शाँति प्राप्त करते हैं।”

73. “जो इच्छाओं से मुक्त है, जिसकी इंद्रियाँ उसके वश में हैं, और जो झूठे अहंकार से रहित है – वही मानव वास्तविक शांति प्राप्त कर सकता है।”

74. “वास्तव में बुद्धिमान लोग ही भक्ति में लगे हुए भगवान की शरण लेते हैं, और केवल वे ही उनकी सच्चाई को जानते हैं। वे दृढ़ विश्वास के साथ उनकी पूजा करते हैं।”

75. “जब कोई व्यक्ति इंद्रियों के सुखों से अनासक्त हो जाता है और जब सुख उसके मन को उत्तेजित करना बंद कर देता है, तो वह व्यक्ति दिव्य चेतना में स्थापित हो जाता है।”


76. “हे पार्थ , जिसने मन को जीत लिया है, उसके लिए मन सबसे अच्छा दोस्त है; लेकिन जो ऐसा करने में विफल रहा है, उसके लिए मन सबसे बड़ा दुश्मन बना रहेगा।”

77. “एक व्यक्ति को योग में उन्नत तभी कहा जाता है, जब वह सभी भौतिक इच्छाओं को त्यागकर न तो इंद्रिय संतुष्टि के लिए कार्य करता है और न ही सकाम गतिविधियों में उलझा होता है।”

78. “योगी तपस्वी से महान है, अनुभवी से महान है और सकाम कार्यकर्ता से महान है। इसलिए, हे अर्जुन, सभी परिस्थितियों में योगी बनो।” Geeta Quotes in Hindi by Lord Krishna.

79. “जब पूरी तरह से अनुशासित मन सभी इच्छाओं को त्याग देता है और अकेले स्वयं में संतुष्ट हो जाता है, तो उस व्यक्ति को निरंतर मेरे ध्यान में कहा जाता है।”

80. “हमे स्वयं ही अपना उत्थान करना चाहिए। स्वयं को नीचा नहीं दिखाना चाहिए। क्युँकि स्वयं ही स्वयं का मित्र है और स्वयं ही स्वयं का शत्रु है।”

Bhagavad Gita Quotes in Hindi by Lord Krishna

81. “एक परम योगी को हमेशा अपने हृदय में विराजमान, दिव्य और आत्म-तेजस्वी भगवान के परम व्यक्तित्व का चिंतन करते हुए ध्यान में संलग्न रहना चाहिए।”

82. ” जिसका मन मुझ पर स्थिर है, वास्तव में वह योगी पारलौकिक सुख की सर्वोच्च पूर्णता प्राप्त करता है। वह रजोगुण से परे है और इस प्रकार वह पिछले कर्मों के सभी पापों से मुक्त हो जाता है।”

83. “ऐसा योगी, जो यह जानते हुए कि सभी प्राणियों के भीतर एक ही परमात्मा है वह सभी परिस्थितियों में सदैव मुझमें ही रमा रहता है।”

84. “हजारों मनुष्यों में से शायद ही कोई पूर्णता के लिए प्रयास करता है, और जो लोग प्रयास करते हैं और पूर्णता प्राप्त करते हैं, उनमें से शायद ही कोई मेरी सच्चाई जानता है।”

85. “अर्जुन , मैं जल का स्वाद, सूर्य और चंद्रमा का प्रकाश, वैदिक मंत्रों में ‘ओम’ अक्षर, आकाश में ध्वनि और मनुष्य में क्षमता हूँ।”

86. “हे महाबाहु, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार – ये आठों मिलकर मेरी अलग-अलग भौतिक ऊर्जाएँ बनाते हैं।”

87. “हे कपिध्वज, मुझसे बढ़कर कोई सत्य नहीं है। सब कुछ मुझ पर निर्भर है, जैसे धागे में मोती पिरोए जाते हैं वैसे ही सब मुझमे निहित हैं।”

88. “मैं बलवानों की शक्ति हूँ, आसक्त्ति और इच्छा से रहित हूँ। मैं यौन जीवन हूं जो धार्मिक सिद्धांतों के विपरीत नहीं है।” Top 100 Bhagavad Gita Quotes in Hindi.

89. “वे दुष्ट नराधम जो अत्यंत मूर्ख हैं, मानव जाति में निम्नतम हैं, जिनका ज्ञान माया ने चुरा लिया है और जो राक्षसों के नास्तिक स्वभाव के भागी हैं वे मेरी शरण में नहीं आते हैं।”

90. ” जिन्होंने सभी धर्मग्रंथों का सार समझ लिया है, प्रेम और भक्ति से मेरी पूजा करते हैं और मुझे सभी कारणों और सभी चीजों का कारण जानते हैं, वे ज्ञानयोगी मुझे प्राप्त कर लेते हैं।”

Holy Bhagavad Gita Quotes in Hindi

91. “मैं सभी आध्यात्मिक और भौतिक संसारों का स्रोत हूँ। सब कुछ मुझसे उत्पन्न होता है। जो बुद्धिमान इसे पूरी तरह से जानते हैं वे मेरी भक्ति सेवा में संलग्न होते हैं और सच्चे मन से मेरी पूजा करते हैं।”

92. “हे कुंती पुत्र, जो लोग भ्रमित नहीं हैं, वे पूरी तरह से भक्ति सेवा में लगे हुए हैं क्योंकि वे मुझे भगवान के सर्वोच्च व्यक्तित्व, मूल और अटूट के रूप में जानते हैं।”

93. “रहस्यों में, मैं मौन हूँ, बुद्धिमानों में मैं ज्ञान हूँ। हे अर्जुन, मैं सभी अस्तित्वों का बीज हूँ। कुछ भी जीवित या निर्जीव मेरे बिना मौजूद नहीं हो सकता।”

94. “हे कौन्तेय, मैं सभी प्राणियों का आदि, मध्य और अंत हूँ।”

95. “तारों में मैं चंद्रमा हूँ , इंद्रियों में मैं मन हूँ , और जीवित प्राणियों में मैं चेतना हूँ।”

96. “हे भरतवंशज आदित्यों में, मैं विष्णु हूँ, रोशनी में मैं उज्ज्वल सूर्य हूँ, मरुतों में मैं मरीचि हूँ, और सितारों में मैं चंद्रमा हूँ।”

97. “जल निकायों में मैं समुद्र हूँ, महान ऋषियों में मैं भृगु हूँ, शब्दों में मैं एक-अक्षर (ओम) हूँ और बलिदानों में मैं जप हूँ।” ( Article – Bhagavad Gita Quotes in Hindi).

98. “धनंजय, राक्षसों के बीच मैं समर्पित प्रह्लाद हूँ, वश में करने वालों के बीच मैं समय हूँ, जानवरों के बीच मैं सिंह हूँ , और पक्षियों के बीच मैं दिव्य गरुड़ हूँ।”

99. “पवित्र करने वालों में मैं वायु हूँ , शस्त्रधारियों में मैं राम हूँ , और नदियों में मैं गंगा हूँ।”

100. “हे फाल्गुन, इंद्रियों में मैं मन हूँ , जीवित प्राणियों में मैं चेतना हूँ , रुद्रों में मैं भगवान शिव हूँ, यक्ष और राक्षसों में मैं कुबेर हूँ ।”

Sacred Bhagavad Gita Quotes in Hindi

101. “हे कुन्तीपुत्र मैं निर्विशेष ब्रह्म का आधार हूँ, जो अमर, अविनाशी और शाश्वत है और परम सुख की संवैधानिक स्थिति है।”

102. “भौतिक प्रकृति में तीन गुण होते हैं – अच्छाई, जुनून और अज्ञान। हे महाबाहु अर्जुन, जब शाश्वत जीव प्रकृति के संपर्क में आता है, तो वह इन गुणों से बंध जाता है और मुझे भूल जाता है।”

103. “जब कोई सतोगुण में मरता है, तो वह महान संतों के शुद्ध उच्च लोकों को प्राप्त करता है।”

104. “जो पूर्ण भक्ति करता है, जो किसी भी परिस्थिति में नीचे नहीं गिरता है, वह भौतिक प्रकृति के सभी गुणों को पार कर जाता है और इस प्रकार ब्रह्म के स्तर पर आ जाता है।”

105. “हे पांडव, जब देहधारी प्राणी भौतिक शरीर से जुड़े इन तीन गुणों को पार करने में सक्षम होता है, तो वह जन्म, मृत्यु, बुढ़ापा और उनके कष्टों से मुक्त हो सकता है और इस जीवन में भी अमृत का आनंद ले सकता है।”

106. “सतोगुण से वास्तविक ज्ञान विकसित होता है, रजोगुण से लोभ विकसित होता है और तमोगुण से मूर्खता, पागलपन और भ्रम विकसित होता है।”

107. “जो बिना आसक्ति के अपने कर्तव्य का पालन करता है, परिणाम को भगवान को समर्पित करता है, वह उसी प्रकार पाप कर्म से प्रभावित नहीं होता है, जैसे कमल का पत्ता पानी से अछूता रहता है।”

108. हे कुंती के पुत्र, जीवन की सभी प्रजातियां इस भौतिक प्रकृति में मेरे द्वारा ही संभव हुई हैं और मैं ही बीज देने वाला सबका पिता हूँ।” Holy Bhagavad Gita Quotes in Hindi.

109. “जो मुझे अजन्मा, अनादि, सभी संसारों के सर्वोच्च भगवान के रूप में जानता है – वह मोहरहित मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है।”

110. “सतोगुण की अभिव्यक्ति मानव द्वारा तब अनुभव की जा सकती है जब शरीर के सभी द्वार ज्ञान से प्रकाशित होते हैं।”

समाप्त।

दोस्तो, उम्मीद है श्रीमद भगवद गीता के ये अनमोल वचन (Bhagavad Gita Quotes in Hindi) पढ़कर आपके मन में भगवान श्री कृष्ण के प्रति अगाध श्रद्धा उत्पन्न हुई होगी।

तथा आपको जीवन जीने का सही उद्देश्य पता चला होगा। श्री कृष्ण आपको सदा प्रसन्न रखें। धन्यवाद।

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